शिलांग टाइम्स अवमानना मामला: सुप्रीम कोर्ट ने मेघालय हाईकोर्ट के आदेश पर लगाई रोक
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक अवमानना मामले में मेघालय उच्च न्यायालय द्वारा शिलॉन्ग टाइम्स के संपादक और प्रकाशक की सजा और दोष सिद्धि पर रोक लगा दी। पिछले साल 6 दिसंबर और 10 दिसंबर को शिलॉन्ग टाइम्स में दो लेखों के प्रकाशन के लिए समाचार पत्र की संपादक पैट्रिशिया मुखीम और प्रकाशक शोभा चौधरी को हाईकोर्ट के एकल न्यायाधीश द्वारा अदालत की अवमानना का दोषी पाया गया था।
शिलॉन्ग टाइम्स में छपे ये लेख सेवानिवृत्त न्यायाधीशों और उनके परिवारों के लिए भत्तों और सुविधाओं पर आधारित थे।
उन पर प्रत्येक 2 लाख रूपए का जुर्माना भी लगाया गया था। जुर्माने को दो सप्ताह के भीतर अदालत में जमा किया जाना था। हाईकोर्ट ने यह भी चेतावनी दी कि ऐसा करने में विफल होने पर छह महीने की जेल और अखबार पर "प्रतिबंध" हो सकता है। शिलॉन्ग टाइम्स समाचार पत्र पहली बार 1945 में प्रकाशित हुआ था। यह पूर्वोत्तर के सबसे पुराने अंग्रेजी समाचार पत्रों में से एक है।
भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने 15 मार्च को अपनी पीठ के समक्ष मामले को सूचीबद्ध किया। मुकीम और चौधरी का प्रतिनिधित्व सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने किया।
पीठ ने संपादक और अखबार के प्रकाशक द्वारा दायर अपील पर हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार को नोटिस भी जारी किया है।
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