एससी के राफेल फैसले में समीक्षा की कोई स्पष्ट त्रुटि नहीं है: केंद्र सरकार
नई दिल्ली केंद्र सरकार ने शनिवार को राफेल डील पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ दाखिल पुनर्विचार याचिकाओं पर अपना जवाब दिया। केंद्र ने कहा कि राफेल डील पर प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) द्वारा नजर रखने को समानांतर सौदेबाजी नहीं माना जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने 14 दिसंबर 2018 को दिए गए अपने आदेश में राफेल डील को तय प्रक्रिया के तहत होना बताया था और सरकार को क्लीन चिट दी थी। इस आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिकाएं दाखिल की गईं। मामले पर अगली सुनवाई 6 मई को होगी। इसके साथ ही केंद्र ने कहा कि मीडिया रिपोर्ट्स कोई ठोस प्रमाण नहीं हो सकतीं।
केंद्र ने कहा कि ये सिर्फ अधिकारियों के विचार हैं जिनके आधार पर सरकार कोई फैसला कर सके. सीलबंद नोट में सरकार ने कोई गलत जानकारी सुप्रीम कोर्ट को नहीं दी। CAG ने राफेल के मूल्य संबंधी जानकारियों की जांच की है और कहा है कि यह 2.86% कम है। केंद्र सरकार ने कहा कि कोर्ट जो भी मांगेगा सरकार राफाल संबंधी दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए तैयार है। राफेल (Rafale Deal) पर पुनर्विचार याचिकाओं में कोई आधार नहीं हैं, इसलिए सारी याचिकाएं खारिज की जानी चाहिए। आपको बता दें कि दिसंबर के अपने फैसले में अदालत ने कहा था कि वर्तमान जैसे मामलों में मूल्य निर्धारण विवरण की तुलना करना इस अदालत का काम नहीं है। अब कोर्ट इस मामले में 6 मई को सुनवाई करेगा।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि वो द हिंदू में छपे रक्षा मंत्रालय के गोपनीय दस्तावेजों पर भरोसा कर उनके आधार पर सुनवाई करेगा। बता दें कि ये याचिकाएं यशवंत सिन्हा, अरूण शौरी और प्रशांत भूषण के अलावा मनोहर लाल शर्मा, विनीत ढांडा और आप सासंद संजय सिंह ने दाखिल की है। सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की बेंच ने केंद्र की प्रारंभिक आपत्ति को खारिज कर दिया था कि ये दस्तावेज विशेषाधिकार प्राप्त हैं और कोर्ट इन्हें नहीं देख सकती।
Rafale case: Media reports can’t be basis for review, Centre tells Supreme Court
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