बैड लोन: 7 लाख करोड़ का कर्ज ठंडे बस्ते में, 80% मोदी सरकार में हुए राइट ऑफ  

Shruti Dixit  Saturday 13th of April 2019 03:09 PM
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नई दिल्ली बैंकों को डूबने से बचाने के लिए जहां सरकार एक तरफ टैक्सदाताओं के पैसे से उन्हें पूंजी उपलब्ध कराने की दिशा में आगे आई है, वहीं दूसरी ओर बैंकों ने लोन न लौटाने वालों के कर्ज को बड़े पैमाने पर ठंडे बस्ते में डालना शुरू कर दिया है। दिसंबर 2018 तक खत्म हुई तीसरी तिमाही तक बैंकों ने करीब 1,56,702 करोड़ के बैड लोन को राइट ऑफ श्रेणी में डाल दिया। इस तरह बीते 10 साल में बैंकों ने करीब 7 लाख करोड़ के बैड लोन को राइट ऑफ किया है। रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़ों से इस बात का खुलासा हुआ है। आसान शब्दों में राइट ऑफ का मतलब है कि बैंकों से लिया गया जो लोन चुकाया ना जा सका, उसे बैंकों ने बैलेंस शीट से हटा दिया।

इंडियन एक्सप्रेस रिपोर्ट के मुताबिक, आरबीआई के आंकड़ों से खुलासा हुआ है कि बीते 10 साल में राइट ऑफ किए गए अधिकतर लोन का 80 फीसदी हिस्सा आखिरी 5 साल यानी अप्रैल 2014 के बाद किया गया है। द इंडियन एक्सप्रेस की ओर से दाखिल आवेदन के जवाब में आरबीआई ने खुलासा किया कि अप्रैल 2014 के बाद से राइट ऑफ किए गए लोन की कुल रकम करीब 5,55,603 करोड़ रुपये है। बैड लोन की रकम कम दिखाने के लिए उत्सुक बैंकों ने 2016-17 में 1,08,374 करोड़ और 2017-18 में 161,328 करोड़ के कर्ज को राइट ऑफ किया। वहीं, 2018-19 के शुरुआती 6 महीनों में 82,799 करोड़ रुपये की रकम राइट ऑफ की गई। वहीं, अक्टूबर से दिसंबर 2018 की तिमाही में 64,000 करोड़ की रकम राइट ऑफ की गई।

बैंक के सूत्रों का कहना है कि व्यक्ति विशेष के मामले में कर्ज लेने वाले लोगों और राइट ऑफ किए गए लोन की रकम के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। बैंक यह दावा करते हैं कि राइट ऑफ के बावजूद रकम की रिकवरी के प्रयास चलते रहते हैं, हालांकि सूत्रों का कहना है कि 15 से 20 फीसदी से ज्यादा रकम की रिकवरी नहीं हो पाई है। इसके अलावा, राइट ऑफ श्रेणी के कर्ज में लगातार इजाफा हो रहा है, जो रिकवरी और पुनर्पूंजीकरण की रफ्तार से कहीं ज्यादा है।


 
 

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