रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद: सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पूर्व अयोध्या में धरा 144 

Team Suno Neta Monday 14th of October 2019 10:38 AM
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सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में फैसले से कुछ दिन पूर्व फैजाबाद जिला प्रशासन ने अयोध्या शहर में सार्वजनिक सभाओं पर और सार्वजनिक स्थानों पर एक जुट होने पर प्रतिबंध लगा दिया है। फैजाबाद के जिला मजिस्ट्रेट अनुज कुमार झा ने कहा कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 144 के तहत प्रतिबंध कस्बे में लगाए गए हैं और सार्वजनिक स्थानों पर चार या अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर शनिवार से प्रतिबंध लगा दिया गया है और यह 10 दिसंबर तक जारी रहेगा आगामी दिनों में आने वाले त्योहारो को मद्दे नज़र रखते हुए।

अपने दो पन्नों के आदेश में अधिकारियों ने इस अवधि के दौरान ड्रोन और मानवरहित हवाई वाहनों के उड़ान पर भी प्रतिबंध लगा दिया है।

इस सप्ताह के अंत तक भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों के सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ लंबे समय से चल रहे भूमि विवाद पर अपना फैसला देने की उम्मीद है। यह फैसला तय करेगा कि राम मंदिर अयोध्या के विवादित स्थल पर बनाया जा सकता है या नहीं। मुगल सम्राट बाबर के सैन्य कमांडरों में से एक बकी तशकंडी, जिसे मीर बाक़ी या मीर बांकी के नाम से भी जाना जाता है, ने 16-वीं शताब्दी (1528-29 ईस्वी) में एक मस्जिद बनवाई थी। हिंदुओं का मानना है कि भगवान राम का जन्म उसी स्थल पर हुआ था और वहां एक मंदिर था जिसे बाकी तशकंडी को ध्वस्त करने मस्जिद बनवाया था।

6 दिसंबर 1992 को हिन्दू कारसेवकों ने मस्जिद को ध्वस्त कर दिया जिससे देश के कई हिस्सों में सांप्रदायिक दंगे भड़क गए। इन दंगो में कम से कम 2,000 लोगों की मौत हो गई थी।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 2010 में, चार दीवानी मामलों में, विवादित 2.77-एकड़ भूमि के तीन भागों बांटा: दो भाग दो हिंदू पक्षों को – निर्मोही अखाड़ा और राम लला विराजमान (शिशु भगवान राम) जो की वकीलों के एक समूह प्रतिनिधित्व कर रहे हैं  – और मुस्लिम पार्टी सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड को का एक हिस्सा। फैसले से नाखुश सभी पक्षों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। इस मामले में शीर्ष अदालत में उच्च न्यायलय के फैसले के खिलाफ चौदह अपील दायर की गई थीं।

सुप्रीम कोर्ट ने विवादित पक्षों को मध्यस्थता से इस मामले का हल निकलने का आग्रह किया, लेकिन वह विफल रहा। जब वार्ता विफल हो गई, तब मुख्या न्यायधीश के नेतृत्व वाली पीठ ने मामले की सुनवाई 6 अगस्त से शुरू की।


 

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