राजस्थान विधानसभा चुनाव: विद्रोहियों के कारण भाजपा को धक्का  

Team Suno Neta Tuesday 25th of September 2018 10:32 AM
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नई दिल्ली: मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से व्यक्तिगत नाराज़गी के कारण भाजपा से अलग हुए तीन विद्रोही नेताओं ने भारतीय जनता पार्टी को हराने के लिए अपना पूरा दम लगा दिया है। राजस्थान विधानसभा चुनाव की तारीख अभी तक घोषित नहीं हुई है और तीन विद्रोही नेता वरिष्ठ विधायक और भारत वाहिनी पार्टी के अध्यक्ष घनश्याम तिवाड़ी, दिग्गज नेता जसवंत सिंह के विधायक बेटे मानवेंद्र सिंह और निर्दलीय विधायक हनुमान बेनीवाल ने पार्टी नेतृत्व राजे की रातों की नींद उड़ा कर रख दी है।

इन तीनों नेताओं द्वारा उठाए गए मुद्दों और मुख्यमंत्री पर लगाए जा रहे व्यक्तिगत आरोपों के कारण भाजपा नेतृत्व हैरान और परेशान है। तिवाड़ी, मानवेंद्र और बेनीवाल को जनता से मिल रहे समर्थन के कारण भाजपा नेतृत्व ने अपने पुरानी चुनावी रणनीति में बदलाव करना प्रारंभ कर दिया है।

घनश्याम तिवाड़ी लगभग पांच दशक से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के स्वयंसेवक, जनसंघ और भाजपा में विभिन्न पदों पर थे। तिवाड़ी राजस्थान राजनीति के चतुर खिलाड़ी हैं जिन्होंने प्रदेश में भाजपा की स्थापना की और इसे आगे बढ़ाने में भी इनकी अहम भूमिका रही है। मुख्यमंत्री पर भ्रष्टाचार सहित अन्य व्यक्तिगत आरोप लगाने वाले तिवाड़ी ने कुछ महीने पूर्व ही भारत वाहिनी नाम से एक नई पार्टी बनाई है और सभी 200 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। तिवाड़ी ने अपने पार्टी में कई पुराने भाजपा नेता और RSS के स्वयंसेवकों को स्थान दिया है। नई पार्टी के कारण भाजपा के परंपरागत वोट बैंकों में कमी आने की संभावना है। आर्थिक रूप से पिछड़ों को आरक्षण न मिलने के मुद्दे को उठाकर तिवाड़ी भाजपा के अगड़ी जातियों के वोट बैंक राजपूत, ब्राह्मण,वैश्य और अन्य  में सेंध लगा रहे हैं।

दिग्गज नेता जसवंत सिंह के बेटे विधायक मानवेंद्र सिंह सिर्फ दो दिन पहले ही भाजपा से अलग हुए हैं। मुख्यमंत्री से आर्थिक रूप से पिछड़ों के आरक्षण के मुद्दे पर नाराज़ चल रहे राजपूत समाज के नेताओं द्वारा मानवेंद्र सिंह को बहुत समर्थन मिल रहा है और विधानसभा चुनाव में भाजपा को इस कारण बहुत नुकसान हो सकता है। मानवेंद्र के कांग्रेस में भी शामिल होने की चर्चाएं तूल पकड़ रही हैं।

हनुमान बेनीवाल, जो की एक निर्दलीय विधायक हैं, और उनकी प्रदेश के जोधपुर, नागौर, बीकानेर, बाड़मेर, जैसलमेर, चूरू, झुंझुंनू और सीकर जिलों के जाट समाज के नौजवानों पर अच्छी पकड़ है  जिलों में इनकी वोट बैंक की गिनती भी काफी बढ़िया हैं। बेनीवाल जो की कुछ समय पहले तक भाजपा के नेता थे वो भी राजे से व्यक्तिगत नाराज़गी के कारण अपनी अलग पार्टी बनाई और निर्दलीय चुनाव जीता है। बेनीवाल ने भी मुख्यमंत्री पर अपने रैलियों में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है।

हालांकि एक राष्ट्रीय भाजपा पदाधिकारी का कहना है कि तीनों विद्रोही नेताओं से विधानसभा चुनाव के बाद और लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा सम्पर्क साधने की कोशिश करेगी। इन्होंने तीनों विद्रोही नेताओं के कारण विधानसभा चुनाव में नुक़सान होने की बात को स्वीकारते हुए कहते हैं की यह तीनों नेता वसुंधरा राजे से व्यक्तिगत तौर पर नाराज़ हैं परन्तु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर यह तीनों नेता एक बार फिर से भाजपा में शामिल हो सकते हैं।


 

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