राफेल विमान सौदा: एन राम की रिपोर्ट के अनुसार भारत सरकार ने ख़राब मोल भाव से सौदेबाजी की 

Team Suno Neta Saturday 19th of January 2019 02:06 PM
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नई दिल्ली: अनुभवी पत्रकार और हिंदू ग्रुप के अध्यक्ष एन राम ने अपने एक लेख में बताया अपने एक लेख में बताया है कि फ्रांस के दासौ एविएशन से खरीदे गए 36 राफेल विमानों में से प्रत्येक की कीमत में मौजूदा सरकार द्वारा वृद्धि की गयी है। एन राम ने लिखा: “दासौं ने इस बारे में बताने से इनकार कर दिया और यह निश्चित रूप से विवादास्पद है कि भारत सरकार इस मामलें में अपना पक्ष नहीं रख सकी। मोदी को इसकी जिम्मेदारी लेनी होगी।’’

एन राम ने ब्लूमबर्गक्विंट को बताया कि  विमान की संख्या 126 से घटकर 36 कर दी गयी इसलिए सरकार इन 36 विमानों को ऊँचे दामों में खरीदना चाहती थी, ताकि उन 126 विमानों के दाम इन 36 विमानों के दाम के बराबर हो जाए। इसीलिए इन निष्कर्षों से पता चलता है कि भारत ने दासौ एविएशन के साथ गुप्त बातचीत की, संभवतः क्योंकि प्रधानमंत्री ने पहले ही इस सौदे की घोषणा कर दी थी। उन्होंने कहा कि €1.3 बिलियन के दासौ एविएशन द्वारा “डिजाइन और विकास’’ के रूप में उन विमानों के मरम्मत के लिए शुल्क लिया गया था।

एन राम ने अपनी जांच से तर्क दिया है कि भारत सरकार को कम विमान खरीदने पर 2017 में डिजाइन और विकास की लागत को कम करने के लिए प्रयास किया जाना चाहिए था, लेकिन 2017 में प्रत्येक विमान की कीमत को 41 प्रतिशत तक बढ़ा दिया।

एन राम की यह रिपोर्ट विपक्ष को राफेल विमान के आरोपों को और अधिक बल देगा। विपक्ष में खासकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाया है कि इस सौदे के लिए अनिल अंबानी की रिलायंस समूह की कंपनी की पैरवी कर राष्ट्र को नुकसान पहुँचाया गया। सरकार ने अंबानी की कंपनी की पैरवी से इनकार किया है।

हिंदू अखबार ने आधिकारिक दस्तावेज की समीक्षा की है जो बताता है कि सात सदस्यीय भारतीय वार्ता टीम (INT) के तीन वरिष्ठ रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने विक्रेता द्वारा सौंपे गए € 1.3 बिलियन की उच्च लागत पर आपत्ति जताई थी। एन राम की यह रिपोर्ट यह सवाल करती है कि राफेल विमान की कीमत डिज़ाइन और क्षमताओं में सुधार के साथ 2007 से 2011और 2016 तक कैसे बढ़ गयी?


 
 

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