राफेल मामला: केंद्र- याचिकाकर्ताओं का रुख आत्म-विरोधात्मक था; सुप्रीम कोर्ट ने 14 दिसंबर के फैसले को चुनौती देने वाली दलीलों पर फैसला सुनाया 

Team Suno Neta Friday 10th of May 2019 08:05 PM
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एक फ्रांसीसी वायु सेना राफेल युद्धक विमान।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को 14 दिसंबर के अपने फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। पूर्व केन्द्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा और अरूण शौरी तथा अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने उच्चतम न्यायालय से अनुरोध किया कि राफेल विमान सौदा मामले में आपराधिक जांच कराने के लिये उनकी याचिका खारिज करने संबंधी दिसंबर, 2018 का निर्णय रद्द किया जाये।

गुरुवार को आरोपों को खारिज करते हुए, केंद्र ने कहा कि समीक्षा याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर की गई याचिका के लिए आवेदन “पूरी तरह से गलत” है और उनके तथ्य अपूर्ण और आत्म- विरोधात्मक है ।

केंद्र सरकार ने यह भी दावा किया कि याचिकाकर्ताओं द्वारा “सरकारी अधिकारियों के रिपोर्ट, निर्णय लेने की प्रक्रिया, ऑफसेट और मूल्य-निर्धारण प्रक्रिया” के तथ्य निराधार और गलत है। याचिकाकर्ताओं द्वारा कर्मचारियों पर दबाव बनाकर डराने का प्रयास भी किया गया है।

रक्षा मंत्रालय ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि याचिकाकर्ताओं द्वारा पेश किए गए दस्तावेजों से यह पता नहीं चलता है कि इस मुद्दे पर सक्षम प्राधिकारियों ने कैसे विचार किया, कैसे समाधान निकाला और कैसे इसे आवश्यक मंजूरी दी गई। मंत्रालय ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ताओं के तथ्यों और रिकार्ड का यह चयनित और अधूरा प्रस्तुतीकरण है।’’ उसने कहा कि सरकार ने उच्चतम न्यायालय की इच्छा के मुताबिक अपेक्षित सूचना उपलब्ध कराई थी और अदालत के निर्देश के अनुसार याचिकाकर्ताओं को भी सूचना उपलब्ध कराई गई थी।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 14 दिसंबर 2018 के फैसले में राफेल डील को तय प्रक्रिया के तहत होना बताया था।पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने डील के दस्तावेजों के आधार पर इस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिकाएं दायर की थीं। इनमें कुछ गोपनीय दस्तावेजों की फोटो कॉपी लगाई गई थीं। इस पर अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने केंद्र की ओर से आपत्ति दर्ज कराई थी।


 
 

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