सुप्रीम कोर्ट के जजों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम की पसंद का विरोध, मामलें में हस्तक्षेप के लिए राष्ट्रपति को लिखा गया पत्र  

Team Suno Neta Wednesday 16th of January 2019 10:11 AM
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नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश कैलाश गंभीर ने मंगलवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर सुप्रीम कोर्ट में जजों के नियुक्त के कॉलेजियम के  फैसले का विरोध किया है। कॉलेजियम ने फैसले में हाईकोर्ट के 32 अन्य न्यायाधीशों नियुक्त करने की सिफारिश की थी। गंभीर ने आरोप लगाया है कि दो जजों – संजीव खन्ना और दिनेश माहेश्वरी – के नाम को कम वरिष्ठता के बावजूद सिफारिश की गयी। गंभीर ने इस मामलें में राष्ट्रपति के हस्तक्षेप की मांग की। कॉलेजियम हाईकोर्ट से जजों को चुनकर सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त करता है।

न्यायधीश कैलाश गंभीर ने अपने पत्र में दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश संजीव खन्ना की सिफारिश करने वाले कॉलेजियम के 10 जनवरी के फैसले को “दुर्भाग्यपूर्ण” कहा।

पांच सदस्यीय कॉलेजियम में भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और चार अन्य वरिष्ठतम न्यायाधीश - जस्टिस ए.के. सीकरी, एस ए बोबड़े, एन वी रमना और अरुण मिश्रा ने कर्नाटक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दिनेश माहेश्वरी के साथ न्यायधीश खन्ना के नाम की सिफारिश की थी। राष्ट्रपति कोविंद को अभी सिफारिशों को मंजूरी देना है।

जस्टिस खन्ना सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस एच आर खन्ना के भतीजे हैं, जिन्हें आपातकाल के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा CJI के पद के लिए नजरअंदाज किया गया था। न्यायाधीश गंभीर ने अपने पत्र में कहा कि न्यायाधीश संजीव खन्ना की सिफारिश कॉलेजियम के "कास्टिंग नियम" को ताक पर रख कर किया गया।

दिनेश माहेश्वरी के सिफारिश पर गंभीर ने पत्र में आगे लिखा: “यह नहीं भुलाया जा सकता है, कि यह सिर्फ डेढ़ महीने पहले सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम सदस्यों ने न्यायाधीश दिनेश माहेश्वरी को निलंबित कर दिया था और अब वह सरकारी कागज़ पर ऐसे समय में अधिक योग्य और उपयुक्त हो गए हैं।” खबरों के अनुसार जस्टिस माहेश्वरी को तब योग्य नहीं माना गया था जब दिसंबर में कॉलेजियम की बैठक हुई थी।


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