NSC कार्यवाहक चेयरपर्सन पी सी मोहनन ने मोदी सरकार के 2017-18 के रोजगार के आंकड़े न जारी करने के विरोध में दिया इस्तीफा  

Team Suno Neta Wednesday 30th of January 2019 03:31 PM
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पी सी मोहनन

नई दिल्ली: वर्ष 2017-18 के लिए रोजगार और बेरोजगारी पर NSSO (नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गनाइजेशन) के पहले वार्षिक सर्वेक्षण को रोकने के खिलाफ विरोध करते हुए राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (NSC) के कार्यवाहक चेयरपर्सन ने सोमवार को इस्तीफा दे दिया। एक अन्य सहयोगी ने भी पद छोड़ दिया है। यह रिपोर्ट इस सरकार में NSSO द्वारा पहली निंदा के मद्देनजर रोजगार के नुकसान को दर्शाती है।

NSC 2006 में गठित एक स्वायत्त निकाय है जो देश की सांख्यिकीय प्रणालियों के कामकाज की निगरानी और समीक्षा करने का काम करता है। तीन साल पहले इसे GDP बैक सीरीज़ डेटा को अंतिम रूप देने के लिए नीति आयोग द्वारा अनदेखा किया गया था।

सांख्यिकीविद् पी सी मोहनन और दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में प्रोफेसर जे वी मीनाक्षी को सरकार द्वारा जून 2017 में NSC में सदस्य के रूप में नियुक्त किए गए थे। दोनों का तीन साल का कार्यकाल था। मोहनन इस्तीफा देने से पहले कार्यवाहक अध्यक्ष थे। वर्तमान में NSC के पदेन सदस्य अमिताभ कांत हैं, जो नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

मोहनन ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया: “तरीका यह होता है कि NSSO सर्वेक्षण को NSC आयोग को प्रस्तुत करता है, और एक बार स्वीकृत मिलने के  बाद रिपोर्ट अगले कुछ दिनों के अंदर जारी की जाती है। मोहनन ने कहा हमने दिसंबर की शुरुआत में रोजगार/बेरोजगारी पर NSSO के सर्वेक्षण को मंजूरी दी थी। लेकिन रिपोर्ट को लगभग दो महीने तक सार्वजनिक नहीं किया गया।” मोहनन ने कहा, “ऐसे लगता है कि सरकार NSC को गंभीरता से नहीं लेती है।”

NSSO के एक सूत्र ने कहा कि 2017-18 के नौकरी के सर्वेक्षण में रोजगार के मोर्चे पर अच्छी तस्वीर पेश नहीं की गई। इससे पहले NSSO ने पांच साल में एक बार रोजगार/बेरोजगारी के आकड़ों का सर्वेक्षण किया था। आखिरी सर्वेक्षण 2011-12 में किया गया था।

अगला सर्वेक्षण 2016-17 में होना चाहिए था। लेकिन काफी सोच विचार के बाद NSC ने वार्षिक और त्रैमासिक सर्वेक्षणों का निर्णय लिया। NSSO द्वारा वर्ष 2018 के (जुलाई 2017-जून 2018) के लिए किए गए पहले वार्षिक सर्वेक्षण में नोटबंदी से पहले और नोटबंदी के बाद में दोनों अवधि को कवर किया जाता।

CMIEE के नवीनतम अपडेट से पता चला है कि दिसंबर 2018 में बेरोजगारी दर 7.4 प्रतिशत बढ़ी है। यह 15 महीनों में सबसे अधिक है। 2018 में 11 मिलियन नौकरियों को नोटबंदी के कारण खो दिया गया था। लेकिन सरकार ने नौकरी के नुकसान से इनकार किया है, और अक्सर कहा कि कई इंडस्ट्रीज के क्षेत्र में नौकरियां पैदा हुई हैं।

19 जनवरी को भारतीय उद्योग परिसंघ द्वारा आयोजित एक रोजगार कार्यक्रम में वर्तमान वित्तमंत्री पीयूष गोयल ने रिपोर्ट न रिलीज़ किए जाने के मुद्दे पर कहा था कि रिपोर्ट में तब उपलब्ध नौकरियों का डेटा बहुत संगठित नहीं था और कई नए-पुराने उद्योगों को कवर नहीं किया था। जैसे कि टैक्सी एग्रीगेटर जिसने एक लाख लोगों को रोजगार दिया। इसी तरह कई इंडस्ट्रीज को मान्यता नहीं मिली और न ही घरेलू मदद का हिसाब दिया गया। गोयल ने कहा, “इन सब जानकारियों के अभाव में रोजगार की मांग और आपूर्ति के अनुपात में बहुत अंतर हो जाएगा।”

इस्तीफे के बाद सरकार की प्रतिक्रिया

राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (NSC) के सदस्यों के इस्तीफे के राजनीतिक विवाद के बाद केंद्र ने बुधवार को कहा कि सदस्यों ने पिछले कुछ महीनों में आयोग की किसी भी बैठक में अपना मत व्यक्त नहीं किया था।


 
 

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