VVPAT पर विपक्ष की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से माँगा जवाब  

Team Suno Neta Monday 25th of March 2019 02:21 PM
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नई दिल्ली: आगामी लोकसभा चुनाव के लिए इस्तेमाल की जाने वाली VVPAT (वोटर वेरीफाइड पेपर ट्रेल ऑडिट) मशीनों के लिए पर्चियों की गिनती सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद बढ़ा दी जाएगी। 21 विपक्षी दलों की मांग है कि लोकसभा चुनावों के नतीजे से पहले कम से कम 50% वोटों का मिलान VVPAT की पर्चियों से किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने तीन दिनों के भीतर यह बताने के लिए कहा कि चुनाव आयोग ने मतगणना के लिए VVPAT पर्चियों की गिनती को क्यों नहीं बढ़ाया और इसे अपने आप से EVM के साथ मिलाने के संबंध में उसे किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा, “हम चाहते हैं कि आप VVPAT पर्चियों की गिनती बढ़ाएं। अभी आप केवल एक मतदान केंद्र में एक ही VVPAT की गिनती कर रहे हैं।”

यह बताते हुए कि प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में एक VVPAT का उपयोग गिनती के लिए किया जाता है। चुनाव आयोग ने कहा, “हमारे पास यह मानने के लिए पर्याप्त कारण हैं कि हमारी प्रणाली ठीक काम कर रही है। फिर भी हम सुधार करना चाहते हैं।”

मुख्य न्यायाधीश गोगोई ने कहा, “न्यायपालिका सहित किसी भी संस्था को सुझावों से खुद को नहीं हटाना चाहिए। यदि आप आश्वस्त हैं, तो आप VVPAT को अपने दम पर क्यों नहीं लाए? आप VVPAT प्राप्त करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश चाहते थे। आप जानते हैं कि VVPAT लाने पर चुनाव आयोग को कोर्ट का कितना विरोध करना पड़ा?”

VVPAT मशीनों का उपयोग इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों की कार्यक्षमता को वोटों के साथ पहले से पर्चियों को मिलान करके जांचने के लिए किया जाता है। इस बार चुनाव आयोग ने VVPAT के 100 प्रतिशत उपयोग का आश्वासन दिया है, इसलिए मतदाता यह भी देख सकता है कि मशीन ने वोट को सही तरीके से दर्ज किया है या नहीं।

न्यायाधीशों ने कहा कि वे एक अप्रैल को इस मामले की सुनवाई करेंगे, जिसमें आयोग का एक वरिष्ठ अधिकारी कोर्ट की सहायता कर रहा है। गोगोई की अगुवाई वाली बेंच 21 विपक्षी दलों की एक याचिका पर सुनवाई कर रही है जिसमें कहा गया है कि एक से अधिक VVPAT के सैंपल सर्वे लिए जाएं। चुनावों में VVPAT के इस्तेमाल पर आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू सहित 21 विपक्षी नेताओं की याचिका पर 1 अप्रैल को सुनवाई करेगा।

इससे पहले इन दलों ने 5 फरवरी को चुनाव आयोग से मांग की थी कि VVPAT मिलान का प्रतिशत बढ़ाया जाए लेकिन चुनाव आयोग ने  इस मांग को ठुकरा दिया था। आयोग ने कहा था कि इस बारे में भारतीय सांख्यिकी संस्थान से राय ली जा रही है और उसकी रिपोर्ट आने के बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा।

2017 के शुरुआत में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत के बाद से EVM पर विवाद जारी है।


 
 

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