समझौता ब्लास्ट: जज ने NIA पर उठाए सवाल, बोले – नहीं दिए गए पर्याप्त सबूत 

Team Suno Neta Friday 29th of March 2019 04:07 PM
(9) (4)

समझौता केस में जज बोले - नहीं दिए गए पर्याप्त सबूत।

नई दिल्ली: NIA की विशेष अदालत के न्यायाधीश जगदीप सिंह ने समझौता ब्लास्ट मामले के फैसले की कॉपी सार्वजनिक कर दी। इस कॉपी के मुताबिक नभ कुमार सरकार उर्फ स्वामी असीमानंद, लोकेश शर्मा, कमल चौहान और राजिंदर चौधरी को 20 मार्च को समझौता ब्लास्ट मामले में बरी कर दिया गया था।

विशेष एनआईए अदालत के न्यायाधीश जगदीप सिंह ने अपने फैसले में कहा “मैं विश्वसनीय और स्वीकार्य सबूतों के अभाव में अधूरे रहने वाले इस हिंसा के रूप में किये गए एक नृशंस कृत्य के फैसले को गहरे दर्द और पीड़ा के साथ समाप्त कर रहा हूं। अभियोजन पक्ष के साक्ष्यों में अभाव रहा। जिसके चलते आतंकवाद का एक कृत्य अनसुलझा बना रहा।”

समझौता एक्सप्रेस बम धमाका मामले में स्वामी असीमानंद और तीन अन्य आरोपियों को बरी करने वाली एक विशेष अदालत ने कहा कि विश्वसनीय और स्वीकार्य साक्ष्य के अभाव की वजह से, हिंसा के इस नृशंस कृत्य में किसी गुनहगार को सजा नहीं मिल पाई। इस मामले में चारों आरोपियों- स्वामी असीमानंद, लोकेश शर्मा, कमल चौहान और राजिंदर चौधरी को अदालत ने 20 मार्च को बरी कर दिया था।

एनआईए अदालत के न्यायाधीश जगदीप सिंह ने अपने फैसले में कहा, 'मुझे गहरे दर्द और पीड़ा के साथ फैसले का समापन करना पड़ रहा है क्योंकि विश्वसनीय और स्वीकार्य साक्ष्यों के अभाव की वजह से हिंसा के इस नृशंस कृत्य में किसी को गुनहगार नहीं ठहराया जा सका। अभियोजन के साक्ष्यों में निरंतरता का अभाव था और आतंकवाद का मामला अनसुलझा रह गया।'

आपको बता दें कि भारत और पाकिस्तान के बीच चलने वाली समझौता एक्सप्रेस में 18 फरवरी 2007 को हरियाणा के पानीपत के पास धमाका हुआ। उस वक्त रेलगाड़ी अटारी जा रही थी जो भारत की तरफ का आखिरी स्टेशन है। इस बम विस्फोट में 68 लोगों की मौत हो गई थी। न्यायाधीश ने कहा कि आतंकवाद का कोई महजब नहीं होता क्योंकि दुनिया में कोई भी मजहब हिंसा का संदेश नहीं देता।

गौरतलब है कि इस विस्फोट में ट्रेन के दो डिब्बे अलग हो गए थे। हरियाणा पुलिस ने ब्लास्ट का मामला दर्ज किया था, लेकिन इस मामले की जांच जुलाई 2010 में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंप दी गई थी। एनआईए ने जुलाई 2011 में आठ लोगों के खिलाफ आतंकवादी हमले में उनकी कथित भूमिका के लिए आरोप पत्र दायर किया था।

उन आठ आरोपियों में से स्वामी असीमानंद, लोकेश शर्मा, कमल चौहान और राजिंदर चौधरी अदालत में पेश हुए और मुकदमे का सामना किया. इस हमले का मास्टरमाइंड सुनील जोशी को कहा जाता है। दिसंबर 2007 में मध्य प्रदेश के देवास जिले में सुनील जोशी की उसके घर के पास गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

इस मामले के तीन अन्य आरोपी रामचंद्र कलसांगरा, संदीप डांगे और अमित को गिरफ्तार नहीं किया जा सका और उन्हें भगोड़ा घोषित किया गया था। इनमें से असीमानंद जमानत पर बाहर था, जबकि तीन अन्य आरोपी न्यायिक हिरासत में थे। एनआईए ने आरोपियों के खिलाफ हत्या, आपराधिक साजिश और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के साथ-साथ रेलवे अधिनियम के तहत मामले दर्ज किए थे। इसके बाद अरुण जेटली ने मसले पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर भी मामले पर विस्तार से प्रकाश डाला।


 

रिलेटेड

 
 

अपना कमेंट यहाँ डाले