मुज़फ़्फ़रपुर आश्रय गृह की जांच में नया ख़ौफ़नाक मोड़, लड़की का कंकाल बरामद 

Team Suno Neta Thursday 4th of October 2018 08:27 PM
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नई दिल्ली: बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर में आश्रय गृह में रह रहे लड़कियों का ख़ौफ़ केवल योन निर्जतन और बलात्कार तक ही सीमित नहीं रहा लग रहा है क्योंकि अब केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को जांच के समय एक गुमशुदा लड़की की हड्डियों का अवशेष बरामद हुआ हैं – जिससे कुछ लड़कियों की हत्या होने का भी संदेह किया जा रहा हैं।

इस मामले की जांच कर रही CBI ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि एक लड़की जो उस आश्रय गृह अचानक ग़ायब हो गई थी।

CBI ने जांच के लिए और अधिक समय मांगते हुए सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति एस अब्दुल नाज़ीर, न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता के खंडपीठ को बताया कि किसी के खुफ़िआ सुचना मिलने पर उन्होंने एक श्मशान स्थल पर खुदाई की जहाँ उन्हे एक 15 वर्षीय लड़की की कंकाल प्राप्त हुई। उन्हें संदेह हैं की आरोपी ने मारने के बाद मृत शरीर को दफ़ना दिया था।

जांचकर्ताओं ने अदालत से कहा कि हड्डियों को फोरेंसिक जांच के लिए भेज दिया गया है। यह कहा गया कि आश्रय घर से ग़ायब होने वाली लड़कियों को ढूंढने के लिए और खोज-बीन की आवश्यकता है।

CBI ने लड़कियों के लिए मानसिक स्वास्थ्य और न्यूरो विज्ञान संस्थान के विशेषज्ञों के साथ बातचीत करने के लिए एक और सप्ताह की मांग की थी। अदालत ने कहा कि इन लड़कियों की परामर्श CBI जांच के साथ-साथ चलेगी और इस मामले पर अगली सुनवाई 8 अक्टूबर को होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने महिला और बाल विकास मंत्रालय के संयुक्त सचिव को यौन अपराधों के नाबालिग पीड़ितों के पुनर्वास के लिए उचित दिशानिर्देश तैयार करने के लिए कहा है।

अदालत ने संपादक गिल्ड, प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया और इंडियन ब्रॉडकास्टिंग फेडरेशन को भी इस तरह के संवेदनशील मुद्दों पर रिपोर्ट करने के लिए मीडिया हाउसों के लिए दिशानिर्देश तैयार करने में अदालत की मदद करने के लिए नोटिस का जवाब न देने पर अपवाद लिया।

अब तक की कहानी

मुज़फ़्फ़रपुर आश्रय घर की भयावह कहानी तब प्रकाश में आई जब बिहार के सामाजिक कल्याण विभाग ने आश्रय घर के परीक्षण के आधार पर प्राथमिकी (FIR) दर्ज की। मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस ने परीक्षण आयोजित किया था। 34 लड़कियों की रिपोर्ट, जो उस आश्रय घर में रह रही थी, उनका बार-बार और व्यवस्थित तौर पर यौन शोषण किया गया और यह लंबे समय से चल रहा था।

इसके बाद, शिकायतों की जांच करने के लिए एक विशेष जांच दल का गठन किया गया। इस साल मई में, इस मामले में शामिल 11 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। मुख्य आरोपी, ब्रजेश ठाकुर, जो आश्रय घर चलाता था, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जेडी (यू) के विधायक के पति हैं। वह एक मंत्री थी जब यह कहानी सबके सामने आई और जनता के एक बड़े आक्रोश के बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। ब्रजेश ठाकुर तीन स्थानीय समाचार पत्र भी चलते थे।


 

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