मोहन भागवत ने गोलवलकर के विचारों को ठुकराया
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने बुधवार को कहा कि RSS के गुरु रहे एमएस गोलवलकर के कुछ विचारों से मैं सहमत नहीं वह सहमत नहीं हैं और वह खुद संगठन में बदलाव ला रहा हैं। उन्होंने कहा कि गोलवलकर की भाषणों के संग्रह की किताब "बंच ऑफ थॉट्स" के कुछ हिस्सों को संघ ने त्याग दिया है।
भागवत ने कहा: “विचारों के समूह जो परिस्थिति द्वारा बोली गई है, वह शास्वत नहीं रहती ... संघ बंद संगठन नहीं है, समय बदलता है, हमारी सोच बदलती है, और बदलने की अनुमति डॉ हेडगेवार से मिलती है।” केशव बलिराम हेडगेवार, जिन्हे डॉक्टरजी के नाम से भी जाना जाता हैं, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना 1925 में नागपुर में किया था।
भागवत ने आगे यह भी कहा कि संघ केवल "विचारों का समूह" के उन हिस्सों को मानता है जो केवल वर्तमान परिस्थितियों के लिए उचित लगता हैं और इन्हें एक घरेलु प्रकाशन, “गुरुजी: विजन एंड मिशन” में एक साथ भी रखा गया है।
गोलवलकर पर भागवत का बयान RSS के वर्त्तमान विचारधारा में एक बड़ी सार्वजनिक बदलाव को दर्शाता है। हालांकि संघ निजी तौर पर जोर देकर कहता है कि “विचारों का समूह” गोलवलकर द्वारा किए गए भाषणों का संग्रह समय के “विभिन्न तर्कों” पर किया गया था।
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