मणिपुर हाईकोर्ट से NSA के तहत गिरफ्तार पत्रकार की रिहाई का आदेश 

Shruti Dixit  Monday 8th of April 2019 11:43 AM
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पत्रकार पर लगा एनएसए हटा, तुरंत रिहाई के आदेश

नई दिल्ली मणिपुर हाई कोर्ट ने पत्रकार किशोरचंद्र वांगखेम की राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत मिली हिरासत को रद्द करते हुए उन्हें तुरंत रिहा करने का आदेश दिया। सोमवार को न्यायमूर्ति एल जमीर और न्यायमूर्ति केएच नोबिन सिंह की पीठ ने पत्रकार को एनएसए के तहत हिरासत में लेने के आदेश को खारिज कर दिया। यह आदेश इम्फाल वेस्ट के जिला मजिस्ट्रेट ने दिया था। वांगखेम के वकील सोराइसाम चितरंजन ने बताया कि हाई कोर्ट ने कहा कि टेलिविजन पत्रकार अगर किसी अन्य मामले में वांछित नहीं हैं तो उन्हें तत्काल रिहा किया जाए। बता दें कि इम्फाल वेस्ट के जिला मजिस्ट्रेट ने बीजेपी, आरएसएस, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मणिपुर के मुख्यमंत्री एल बीरेन सिंह की कथित रूप से आलोचना करने के लिए वांगखेम को हिरासत में लेने के आदेश दिए थे।

पत्रकार पर बीजेपी की नेतृत्व वाली सरकार के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के साथ पीएम मोदी और आरएसएस के खिलाफ सोशल मीडिया पर अपमानजनक वीडियो अपलोड करने का आरोप था। मामले में पत्रकार की पत्नी रंजीता एलांगबम ने याचिका दायर कर कोर्ट से रिहाई की मांग की थी। बता दें कि अदालत ने 4 मार्च को ही सुनवाई पूरी कर ली थी, लेकिन फैसले को सुरक्षित रख लिया था। पोस्ट किए गए एक वीडियो में पत्रकार पर सीएम को ‘पपेट ऑफ हिंदुत्व’ कहने का आरोप है। पत्रकार ने यह बातें तब कही थी जब मणिपुर के सीएम बीरेन सिंह रानी लक्ष्मीबाई के जन्मदिवस पर एक समारोह में मौजूद थे।

गिरफ्तारी के तुरंत बाद किशोरचंद्र ने गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर सूचित किया था। इस पत्र में उन्होंने कहा था कि देश की सुरक्षा के खिलाफ उन्होंने कोई खतरनाक काम नहीं किया है। उन्होंने पत्र में लिखा था, ‘‘मुझे सरकार की आलोचना करने के कारण एनएसए के तहत हिरासत में लिया गया है। इस तरह की गिरफ्तारी लोकतांत्रिक सिद्धांतों के खिलाफ है। लोकतंत्र में लोगों को सरकार की आलोचना करने का हक है।’’पत्रकार की गिरफ्तारी के दौरान सीएम बीरेन सिंह ने अपना पक्ष रखा था कि वह किसी भी मामले में आलोचना सह सकते हैं, लेकिन अपने किसी नेता को नीचा दिखाना बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने कहा था कि वह देश की हीरो रानी लक्ष्मीबाई और पीएम मोदी पर अभद्र टिप्पणी कर रहे थे, जो कि अभिव्यक्ति की आजादी के खिलाफ है।

सीएम ने उस समय कहा था कि क्या सही है क्या गलत यह कोर्ट में तय होगा; यह लोकतांत्रिक देश है, सबको आलोचना का हक है, लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए की हमारी कुछ सीमाएं हैं। दरअसल सत्तारूढ़ पार्टी के खिलाफ बोलने के लिए आईपीसी की धारा 124ए (राजद्रोह) और रासुका के तहत पत्रकार की गिरफ़्तारी को लेकर भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की मणिपुर और इसके बाहर व्यापक आलोचना हो रही है।

हालांकि, एक स्थानीय अदालत ने 124ए के तहत लगाए गए आरोपों को खारिज करते हुए उन्हें नवंबर के अंत में बरी कर दिया था लेकिन राज्य पुलिस ने उन्हें 24 घंटों के भीतर दोबारा हिरासत में ले लिया था और उन पर रासुका के तहत मामला दर्ज किया गया था। 12 महीनों के लिए उन्हें जेल में रखने को मंजूरी देने के मामले की जांच के लिए 13 दिसंबर को इस कानून के तहत सलाहकार बोर्ड का गठन किया गया था, जिसके खिलाफ तब किशोरचंद्र ने हाईकोर्ट का रुख किया था।


 

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