केरल के मुस्लिम शैक्षणिक संस्थान ने अपने परिसरों में छात्राओं के निक़ाब पहनकर आने पर लगाई पाबन्दी 

Shruti Dixit  Friday 3rd of May 2019 11:33 AM
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नई दिल्ली: देश में बुर्के पर प्रतिबंध को लेकर जारी बहस के बीच केरल के मुस्लिम शैक्षणिक संस्थान ने अपने परिसर में निक़ाब पहनने पर रोक लगा दी है। कोझिकोड स्थित मुस्लिम एजुकेशन सोसायटी (एमईएस) ने सर्कुलर जारी किया है जिसमें कहा गया कि सोसायटी के किसी भी संस्थान के परिसर में बुर्का या चेहरे को ढकने वाला कोई अन्य परिधान पहनकर आना मना है।

इसमें लिखा है कि निक़ाब पहनकर आने वाले विद्यार्थियों को कक्षा में नहीं बैठने दिया जाएगा। एमईएस के इस क्षेत्र में कई शैक्षणिक संस्थान चलते हैं। सर्कुलर में बताया गया ड्रेस कोड मुस्लिम समुदाय के परंपरागत पहनावे के विपरीत है। एमईएस का तर्क है कि निक़ाब पहनना नया चलन है, पहले इस क्षेत्र के मुस्लिम समुदाय में यह पहनावा आम नहीं था।

17 अप्रैल के इस सर्कुलर में एमईएस के अध्यक्ष पीके फजर गफ्फूर ने कहा कि बिना किसी विवाद के यह नियम 2019-20 के शैक्षणिक सत्र से मान्य होगा। गफ्फूर ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि नए सत्र में कोई भी विद्यार्थी बुर्का पहनकर नहीं आता है। उन्होंने कहा कि किसी भी तरह के अनुचित चलन को बढ़ावा नहीं दिया जाना चाहिए।

बता दें कि श्रीलंका में भीषण आतंकी हमलों के बाद वहां की सरकार ने सार्वजनिक स्थानों पर चेहरा ढकने वाले हर तरह के कपड़ों पर बैन लगा दिया है। इस चुनावी मौसम में अब यह मुद्दा भारत में भी गरमाने लगा है। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में संपादकीय लिखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भारत में भी बुर्का पर बैन लगाने की मांग की। हालांकि बाद में पार्टी ने सफाई दी कि यह अखबार के संपादक की निजी राय है।

उधर, भोपाल से भाजपा उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा ने भी शिवसेना की इस मांग का समर्थन किया है। हालांकि, भाजपा ने इस मांग को खारिज कर दिया है। उधर, बीजेपी प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव ने “सामना” की संपादकीय पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस तरह के बैन की कोई जरूरत नहीं है। बीजेपी के अलावा एनडीए के ही एक अन्य सहयोगी रामदास आठवले ने शिवसेना की मांग को खारिज किया है। आठवले ने कहा कि यह परंपरा का हिस्सा है।


 
 

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