सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पति द्वारा पत्नी और बेटी को वेश्या कहने पर उनके द्वारा की गयी हत्या गैर इरादतन हत्या है
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने पति द्वारा पत्नी और उसकी बेटी को ‘वेश्या’ कहे जाने की वजह से हत्या के मामले में कहा कि पति द्वारा अपनी पत्नी और बेटी को वेश्या कहने पर गुस्से में अगर पत्नी द्वारा पति की हत्या कर दी जाती है तो ऐसे में यह हत्या नहीं बल्कि गैर इरादतन हत्या मानी जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “भारतीय समाज की एक महिला को वेश्या कहलाने से उकसाया जाना पसंद नहीं है। अगर महिला हिंसक होके इस तरह के घिनौने काम पर फैसला करती है यह हत्या नहीं बल्कि गैर इरादतन हत्या है।”
तमिलनाडु में एक महिला का पड़ोस में रहने वाले व्यक्ति से प्रेम संबंध था, जिस दिन यह घटना हुई थी उस दिन महिला के पति ने उसे और उसकी बड़ी बेटी को वेश्या कहा था जिसकी वजह से दोनों के बीच विवाद हो गया। इसी दौरान पड़ोस में रहने वाला महिला का प्रेमी भी वहां आ गया और उसने पति को तमाचा मार दिया। जिसके बाद महिला और उसके प्रेमी ने पति की गला घोंटकर हत्या कर दी। हत्या के बाद पति के शव को एक दोस्त की कार में बंद कर दिया गया था। 40 दिन बाद पुलिस को पति का शव मिला था।
सजा के खिलाफ अपील पर सुनवाई करते हुए जस्टिस मोहन एम शांतनगौदर और दिनेश माहेश्वरी की खंडपीठ ने कहा कि मौखिक अपमान एक “अचानक उकसावे” का संकेत है जिसके कारण महिला आत्म-नियंत्रण की शक्ति खो देती है। महिला एक मिनट के कम समय में भी पति पर हमला करती है और उसे मार देती है।
न्यायाधीश शांतनगौदर ने फैसले में कहा, “मृतक (पति) ने ‘वेश्या’ शब्द का उच्चारण करके आरोपी (महिला) को उकसाया। हमारे समाज में कोई भी महिला अपने पति से ऐसा शब्द नहीं सुनना चाहेगी। सबसे महत्वपूर्ण बात वह इस तरह का शब्द अपनी बेटियों के खिलाफ सुनने के लिए तैयार नहीं होगी। यह घटना मृतक द्वारा अचानक और गंभीर उकसावे का परिणाम है।”
अदालत ने सजा को गैर इरादतन करके संशोधित किया और उसकी सजा को घटाकर 10 साल कर दिया।
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