भारत के BRI पर चुप्पी एवं अन्य शर्तें मानने पर चीन ने मसूद अज़हर मामले पर बरती नरमी: रिपोर्ट
नई दिल्ली: चीन ने आखिरकार जैश-ए-मुहम्मद के प्रमुख मौलाना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र में अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी के रूप में सूचीबद्ध करने के लिए अपनी तकनीकी रोक छोड़ने के फैसले को नरेंद्र मोदी सरकार के लिए एक बड़ी कूटनीतिक जीत के रूप में प्रचारित किया गया है। लेकिन – एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार – भारत ने इसके लिए एक कीमत अदा की हो सकती हैं।
बीजिंग में बेल्ट एंड रोड फोरम से ठीक पहले और हफ़्तों की बातचीत के बाद, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने आखिरकार जैश-ए-मुहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर को लगभग दस दिन पहले आतंकवादी के रूप में सूचीबद्ध करने का निर्णय लिया है।
इंडियन एक्सप्रेस के एक रिपोर्ट ने सूत्रों का हवाला देते हुए बताया कि कम से कम छह देशों के अधिकारी राजनयिक वार्ता में शामिल थे और वाशिंगटन, नई दिल्ली, बीजिंग, पेरिस, लंदन और इस्लामाबाद को साथ में रखते हुए न्यूयॉर्क में काफी चर्चाएं हुईं। एक शीर्ष सूत्र ने बातचीत के बारे में बताते हुए कहा, “यह एक बहुपक्षीय खेल था जो एक भूमिगत स्तर पर खेला जाता था।”
जब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् (UNSC) प्रस्ताव 1267 प्रतिबंध समिति के तहत सूची पर आपत्तियां उठाने के लिए 13 मार्च की समय सीमा बढ़ाई गयी थी, तब नई दिल्ली ने अजहर पर अपने संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्यों के साथ अन्य अंतर्राष्ट्रीय राजधानियों में 2001 के बाद से कई आतंकी हमलों मे अज़हर के हाथ होने के सबूतों के साथ अपना पक्ष भेजा।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने मार्च में, अजहर की लिस्टिंग पर बीजिंग की तकनीकी पकड़ पर एक मजबूत बयान जारी नहीं किया क्योंकि वार्ता चल रही थी जिसमें बाद में बीजिंग ने पाकिस्तान को नई दिल्ली के लिए पांच शर्तों से अवगत कराया: इस्लामाबाद के साथ तनावपूर्ण स्थिति को शांत करा, पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय वार्ता शुरू करना, अजहर को पुलवामा हमले से नहीं जोड़ना, पाकिस्तान में अन्य व्यक्तियों और समूहों की नया लिस्टिंग के लिए अमेरिका के साथ मिलकर ज़ोर नहीं देना, और कश्मीर में हिंसा को रोकना। इसके अलावा चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का समर्थन करना भी एक शर्त था। भारत मई 2017 से BRI का विरोध करते आ रहा हैं। नई दिल्ली का कहना है की BRI भारत की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का उल्लंघन करती है क्योंकि यह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से गुजरता है, जिसे भारत अपना अभिन्न अंग मानता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अप्रैल के मध्य तक, BRI पर भारत की स्थिति का चीन ने उपयोग किया अपने पक्ष को मज़बूत करने के लिए। BRI अधिवेशन के करीब आने पर बातचीत में तेजी आई और वाशिंगटन ने बीजिंग से कहा कि यदि उसने 1 मई तक लिस्टिंग के लिए प्रतिबद्धता नहीं दी तो यह खुली चर्चा को आगे बढ़ाएगा और UNSC में मतदान का प्रस्ताव रखेगा
जब विदेश सचिव विजय गोखले 22 अप्रैल को बीजिंग गए तब तक यह सौदा हो चुका था, जिसने अजहर को पुलवामा आत्मघाती हमला से जोड़ा नहीं था।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने बृहस्पतिवार को संयुक्त राष्ट्र की अधिसूचना में पुलवामा हमले के संदर्भ में अनुपस्थिति के अभाव में अजहर को नामित करते हुए कहा, संयुक्त राष्ट्र की अधिसूचना अजहर का “बायोडाटा” नहीं थी परन्तु पुलवामा हमला अज़हर को अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादियों के सूची में डालने में एक “बड़ी भूमिका” निभाई।
कुमार ने यह भी दावा किया कि भारत आतंकवाद पर समझौता नहीं करता है और कहा, “मैं यह स्पष्ट कर दूं कि हम आतंकवाद और देश की सुरक्षा से जुड़े मामलों पर बातचीत नहीं करते हैं। चीन ने पहले ही अपना स्पष्टीकरण दे दिया है कि क्यों पकड़ को हटा दिया गया है।”
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