मुज़फ़्फ़रपुर में ‘चमकी बुखार’ से मौत का सिलसिला जारी, अबतक 100 बच्चों की जान गई  

Amit Raj  Monday 17th of June 2019 10:41 AM
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मुज़फ़्फ़रपुर के एक अस्पताल में  एक डॉक्टर “चमकी” के शिकार एक बच्चे की जांच करते हुए।

नई दिल्ली: अधिकारियों ने सोमवार को कहा कि तीव्र एन्सेफलाइटिस सिंड्रोम (AES) के कारण बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर में कम से कम 100 बच्चों की जान चली गई है।

श्री कृष्णा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (SKMCH) के अधीक्षक सुनील कुमार शाही ने कहा, “मुजफ्फरपुर में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम के कारण मौत का आंकड़ा बढ़कर 100 हो गया है।”

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, SKMCH में 83 बच्चों की मौत हो गई है, जबकि 17 लोग शहर के केजरीवाल अस्पताल में दम तोड़ चुके हैं।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने रविवार को केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी चौबे के साथ स्थिति का जायजा लेने के लिए SKMCH का दौरा किया। लेकिन उन्हें AES पीड़ितों के गुस्साए परिजनों और इलाके के लोगों का आक्रोश का सामना करना पड़ा। जनता ने विरोध में उनको काले झंडे दिखाए।

AES के कारण होने वाली विपत्तियों के मद्देनजर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पहले मृतकों के परिवारों को 4 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की थी।

उन्होंने स्वास्थ्य विभाग, जिला प्रशासन और डॉक्टरों को बीमारी से लड़ने के लिए आवश्यक उपाय करने के निर्देश भी दिए थे।

AES एक वायरल बीमारी है, जो हल्के फ्लू जैसे लक्षण जैसे तेज बुखार, ऐंठन और सिरदर्द का कारण बनती है। इस बीमारी को “चमकी बुखार” के नाम से भी जाना जाता हैं बिहार में।

इस बीच, बिहार सरकार असमंजस की स्थिति में है कि क्या AES के कारण होने वाली मौतों को स्वीकार किया जाए या नहीं। इससे पहले, राज्य सरकार ने हाइपोग्लाइकेमिया (कम ब्लड शुगर) से होने वाली मौतों के लिए जिम्मेदार ठहराया था। अब बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे कहते हैं कि इस बीमारी के कारण का पता लगाने के लिए एक टीम बनाई गई थी, जिसने निष्कर्ष निकाला है कि रात को खाली पेट सोना, निर्जलीकरण और खाली पेट लीची खाना एनफैलाइटिस के कुछ कारण हो सकते हैं।


 
 

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