जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों के परिसीमन पर गृहमंत्री अमित शाह की बैठक: रिपोर्ट
नई दिल्ली: भारत के नये गृहमंत्री का पदभार संभालते ही अमित शाह एक्शन में दिख रहे हैं। एक निजी मीडिया के मुताबिक़, परिसीमन आयोग के गठन की तैयारियों को लेकर शाह ने मंगलवार को उच्च स्तरीय बैठक की।
गृहमंत्री अमित शाह को मंगलवार को जम्मू कश्मीर की स्थिति का विस्तृत ब्योरा दिया गया। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी कि भाजपा राज्य विधानसभा में जम्मू क्षेत्र से ज्यादा सीटों के लिए परिसीमन अभियान चलाने के लिए प्रयासरत है।
गृहमंत्री को इस संवेदनशील राज्य की जमीनी स्थिति से अवगत कराया गया। भाजपा जम्मू कश्मीर की सीटों के लंबे वक्त से अटके परिसीमन को फिर से तैयार करने की मजबूती से वकालत करती रही है। संभावना है कि केन्द्र की नई सरकार विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन तथा अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित सीटों की संख्या तय करने के लिए परिसीमन आयोग का गठन कर सकती है।
बता दें कि जम्मू कश्मीर में आखिरी बार 1995 में परिसीमन किया गया था, जब गवर्नर जगमोहन के आदेश पर जम्मू-कश्मीर में 87 सीटों का गठन किया गया था। जम्मू-कश्मीर में सीटों का परिसीमन 2005 में किया जाना था, लेकिन फारुक अब्दुल्ला सरकार ने 2002 में इस पर 2026 तक के लिए रोक लगा दी थी।
सूत्रों के अनुसार मौजूदा सरकार परिसीमन पर इसलिए जोर दे रही है ताकि एससी और एसटी समुदाय के लिए सीटों के आरक्षण की नई व्यवस्था लागू की जा सके। ऐसे में नए सिरे से परिसीमन से सामाजिक समीकरणों पर भी प्रभाव पड़ने की संभावना है।
वहीं इस अंदरूनी खबर ने जम्मू कश्मीर की सियासत में हलचल पैदा कर दी है। उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट किया: “भारतीय जनता पार्टी जब परिसीमन पूरे देश में लागू करेगी तब नेशनल कॉन्फ्रेंस जम्मू-कश्मीर में इसके किए जाने का स्वागत करेगी। अन्यथा प्रदेश की आवाम से बिना सहमति के ऐसे किसी भी बदलाव का हमारी पार्टी पुरजोर तरीके से विरोध करेगी।”
When delimitation takes place in the rest of the country the BJP is welcome to apply it to J&K until then we in the @JKNC_ will oppose, tooth & nail, any attempt to make changes without a mandate from the people of the state.
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) June 4, 2019
वहीं पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट किया कि “यह सुनकर बहुत परेशानी हुई कि सरकार जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों का पुनर्निर्धारण की योजना बना रही है। राज्य में मजबूर परिसीमन एक और भावनात्मक विभाजन को सांप्रदायिक तर्ज पर भड़काने का एक स्पष्ट प्रयास है। पुराने घावों को ठीक करने की अनुमित देने के बजाय सरकार कश्मीरियों को पीड़ा दे रही है।”
Distressed to hear about GoIs plan to redraw assembly constituencies in J&K. Forced delimitation is an obvious attempt to inflict another emotional partition of the state on communal lines.Instead of allowing old wounds to heal, GoI is inflicting pain on Kashmiris
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) June 4, 2019
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