भुख से हुई मौत की रिपोर्टों के बावजूद केंद्र सरकार का कहना हैं उसके के पास इसकी कोई सूचना नहीं
नई दिल्ली: उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने मंगलवार को लोकसभा में एक प्रश्न के जवाब में बताया है कि केंद्र सरकार के भुखमरी से हुई मौत का कोई आकड़ा नहीं है।
उपभोक्ता मामलों के राज्य मंत्री, खाद्य और सार्वजनिक वितरण सी आर चौधरी ने बताया: “किसी भी राज्य सरकार/केंद्रशासित प्रशासन ने प्रदेश में भुखमरी के कारण हुई मौत की किसी भी घटना की सूचना मंत्रालय को नहीं दी है। कुछ राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में भुखमरी से हुई मौत का आकड़ा केवल मीडिया रिपोर्टें है। हालांकि झारखंड में भुखमरी के कारण हुई मौतों को अभी प्रमाणित नहीं किया गया है।”
झारखंड का विशेष उल्लेख इसलिए है क्योंकि पिछले दो वर्षों में विशेष रूप से कल्याणकारी योजनाओं के लागू होने के बाद राज्य के सार्वजनिक वितरण कई अवसरों पर जांचे गए है। राज्य में पहली भुखमरी से मौत सितंबर 2017 में हुई थी।जब ग्यारह वर्षीय संतोषी कुमार को राशन नही दिया गया। उसके परिवार के राशन कार्ड को रद्द कर दिया गया क्योंकि यह आधार से जुड़ा नहीं था। लेकिन राज्य में भाजपा सरकार ने बताया कि कुमारी की मौत मलेरिया से हुई है। हालांकि बाद में यह स्वीकार किया गया कि राशन कार्ड रद्द कर दिया गया था।
कुमारी का मामला कोई पहला मामला नहीं था। झारखंड और अन्य राज्यों के कार्यकर्ताओं और पत्रकारों ने भुखमरी से संबंधित मौत के कई मामलों की सूचना दी है। खाद्य अभियान का अधिकार भुखमरी से जुड़ी मौत की एक सूची बनाए रखता है जिसे स्वतंत्र रिसर्च टीमों और मीडिया रिपोर्टों द्वारा सत्यापित किया जाता है। 2017 के बाद से 42 भुखमरी से संबंधित मौतों को रिकॉर्ड किया गया है।इसके अलावा भारत सरकार ने सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को निर्देश जारी किया है कि पात्र लाभार्थियों/परिवारों की सूची से आधार न होने पर लाभार्थी/परिवार को हटाया नहीं जाएगा और उन्हें सब्सिडी वाले अनाज या नकद हस्तांतरण से मना नहीं किया जाएगा।
हालांकि यह सच है देश के विभिन्न हिस्सों की रिपोर्टों में दावा किया गया है कि आधार नीति ने जमीनी स्तर पर लोगो को मुश्किल में डाला है। उदाहरण के लिए झारखंड में विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों के हालिया सर्वेक्षण में पाया गया कि जब से आधार कल्याणकारी योजनाओं से जुड़ना शुरू हुआ तब से परिवारों को राशन मिलने में कठिनाई हो रही है।
ग्लोबल हंगर इंडेक्स पर भारत की स्थिति के बारे में सरकार से भी पूछा गया कि यह इतना नीचे क्यों है ? इस पर चौधरी ने प्रतिक्रिया दी कि भारत का रैंक ग्लोबल हंगर इंडेक्स में 119 देशों में 103 है। लेकिन GHI (Global Hunger Index) में सन 2000 में 38.8 से 2018 में 31.1 हुई है।
खाद्य वितरण के कार्यान्वयन की ज़िम्मेदारी से इंकार करने वाला केंद्र भी अब झारखंड सरकार की तरह इनकार कर रहा है। उठाए गए कदमों पर एक प्रश्न के जवाब में मंत्री ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम की शर्तों का विस्तार किया लेकिन कार्यान्वयन और प्रभावित वाले समुदायों की चिंताओं को नज़रअंदाज़ किया।
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