दिल्ली में दशकों में हुए सबसे भयानक सांप्रदायिक हिंसा, अब तक 27 की मौत
नई दिल्ली: दिल्ली में तीन दिनों की हिंसा में मरने वालों की संख्या बुधवार को ताज़ा आंकड़ों के अनुसार 27 तक पहुंच गई। जो हिंसा नागरिकता संशोधन अधिनियम के समर्थको और विरोधियों के बीच रविवार को शुरू हुआ था वह पूर्ण रूप से हिन्दू-मुस्लमान दंगो का शक्ल ले लिए।
1984 के सिख विरोधी ननरसंहार – जो तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद शुरू हुई थी – के बाद से शहर में यह सबसे वीभत्स सांप्रदायिक हिंसा थी। उस ननरसंहार में लगभग 3,000 सिख मारे गए और उनके सैकड़ों के घर और व्यापारिक प्रतिष्ठान जला दिए गए थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ट्वीट में भी शांति की अपील की। मोदी ने कहा कि उन्होंने स्थिति समीक्षा की और सुरक्षाकर्मी, जिसमें दिल्ली पुलिस और केंद्रीय अर्धसैनिक बल शामिल हैं, सामान्यता बहाल करने के लिए काम कर रहे हैं।
सोशल मीडिया पर प्रसारित तस्वीरों और वीडियो में हिंसा की खौफनाक छवियां दिखाई गईं जिसमें भीड़ ने असहाय व्यक्तियों पिटाई करते हुए और घायल पत्रकारों दर्शाया गया। कुछ वीडियो में पुलिसवाले हिंसा के दौरान दंगाइयों के एक समूह का समर्थन करते हुए भी दिखाई दिए।
यह हिंसा पूर्वोत्तर दिल्ली के भजनपुरा, चांदबाग, जाफराबाद, खुरेजी खास, मौजपुर और शिव विहार जैसे मुस्लिम बहुल इलाकों में केंद्रित थी। इन क्षेत्रों में जाने के लिए मीडिया के ऊपर सख्त रूप से प्रतिबन्ध लगाई गई है। कुछ समूहों ने यह शिकायत की कि हिंसा से प्रभावित लोगों के लिए राहत सामग्री ले जाने की प्रयासों को पुलिसकर्मियों और अधिकारीयों ने अनुमति नहीं दी।
इस बीच विपक्षी कांग्रेस पार्टी की नेता सोनिया गांधी ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग की। उन्होंने शाह पर आरोप लगाया कि पिछले तीन दिनों में हुई हिंसा के लिए वे जिम्मेदार है।
मरने वालों की संख्या बढ़ने की संभावना है क्योंकि दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में दंगों के दौरान अस्पतालों में भर्ती कराए गए घायल लोगों में से कई दर्जन लोगों को गंभीर चोटें आई हैं।
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