करोनावायरस महामारी: कांग्रेस ने कहा वह मजदूरों के ट्रेन टिकट का भुगतान करेगी, भाजपा स्तब्ध
नई दिल्ली: कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने घोषणा की कि उनकी पार्टी लॉकडाउन (तालाबंदी) में फंसे प्रवासियों को उनके गंतव्य स्थानों तक की यात्रा की ट्रैन टिकट की लागत का भुगतान करेगी। प्रवासियों का एक बड़ा हिस्सा गरीब मजदूर हैं जो 25 मार्च से लगाए गए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के बाद शहरों में कम या बिना भोजन के फंसे हुए हैं।
गांधी ने सोमवार को कहा कि कांग्रेस इन लोगों की मदद करने के लिए अगले सप्ताह से प्रवासियों के ट्रेन किराया का खर्चा उठाएगा और यह जरूरतमंदों के लिए उनके तरफ़ से "विनम्र योगदान" होगा। उसने कहा, “प्रवासी कामगारों और मजदूरों को उनके घरों तक जाने के लिए सुरक्षित और मुफ्त रेल यात्रा के प्रावधान होने चाहिए। हमारी बार-बार मांग के बावजूद केंद्र सरकार और रेल मंत्रालय ने इसे पूरी तरह से नजरअंदाज किया है।”
उन्होंने कहा कि राज्य कांग्रेस इकाइयां खर्च वहन करेंगी और यह भी कहा कि यह एक त्रासदी थी जिसे भारत ने 1947 में विभाजन के बाद पहली बार देखा है।
गांधी ने कहा चूंकि केंद्र सरकार ने लॉकडाउन से पहले मुश्किल से चार घंटे का नोटिस दिया था, इसलिए कामगार अपने घर जाने के अवसर से वंचित रह गए। उन्होंने कहा, “1947 के विभाजन के बाद यह पहली बार है जब भारत ने इतनी बड़ी मानवीय त्रासदी देखी है।”
सरकार को निशाना बनाते हुए गांधी ने कहा, “हमारी सरकार की जिम्मेदारी क्या है? आज भी, लाखों श्रमिक और प्रवासी मजदूर देश के विभिन्न हिस्सों में हैं और अपने परिवारों के पास लौटने की इच्छा रखते हैं, हालांकि न तो उनके पास पर्याप्त धन है और न ही मुफ्त परिवहन का प्रावधान है।”
25 मार्च को नए करोनावायरस (Covid-19) के प्रसार को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन ने देश भर के हजारों प्रवासी श्रमिकों को उनके मूल स्थानों तक पहुंचने के लिए दुस्साहसिक कदम उठाने में मजबूर कर दिया था। हजारों प्रवासियों ने कभी-कभी छोटे बच्चों और बीमार परिवार के सदस्यों के साथ पैदल अपने गंतव्य की ओर प्रस्थान करना शुरू कर दिया। उनके मदद के लिए पिछले सप्ताह सरकार ने विशेष ट्रेनें चलाना शुरू किया।
हालाँकि, जब यह सामने आया कि सरकार न केवल उनसे टिकट का किराया वसूल रही है बल्कि किराए पर अन्य शुल्क भी जोड़ रही है, जैसे कि ₹30 सुपरफास्ट चार्ज और श्रमिक स्पेशल ट्रेन के लिए और ₹20 का अतिरिक्त शुल्क, तब कई लोगों ने, जिनमे नागरिक समाज संगठनों के सदस्य और विपक्षी राजनेताएं शामिल हैं, अपनी पीड़ा और आक्रोश व्यक्त किया क्योंकि लॉकडाउन के कारण एक महीने से फंसे होने के बाद कई प्रवासियों के पास कोई पैसा नहीं बचा है।
सोनिया गांधी की घोषणा से मिली कांग्रेस को इस विशाल राजनीतिक लाभ को बेअसर करने के लिए सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की सरकार सक्रिय हो गई।
सोमवार को एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि श्रमिक स्पेशल से यात्रा करने वालों से बिल्कुल भी शुल्क नहीं लिया जा रहा है क्योंकि भारतीय रेलवे किराया की लागत का 85 प्रतिशत वहन कर रहा है जबकि राज्यों, जहाँ के प्रवासी हैं, लागत का 15 प्रतिशत वहन कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी कई भाजपा सदस्यों और पार्टी के समर्थकों ने दावा किया कि कांग्रेस का आरोप गलत है कि रेलवे प्रवासियों से टिकट किराए वसूल कर रही है क्योंकि सरकार ने उनकी यात्रा को मुफ्त कर दिया है।
दिलचस्प बात यह है कि रेल मंत्रालय द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि स्थानीय राज्य सरकार प्राधिकरण उनके द्वारा अनुमति दिए गए यात्रियों को टिकटें सौंप देगी और टिकट का किराया एकत्र करेगी और कुल राशि रेलवे को सौंप देगी।
बाद में मीडिया ने भी खुलासा करते हुए कहा और टेलीविज़न पर दिखाया कि प्रवासी यात्रियों को अपने ट्रेन टिकट के लिए खुद भुगतान किया और सरकार का यह दावा असत्य है कि केंद्र और राज्य सरकारें खर्च वहन कर रही हैं।
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प्रवासी श्रमिकों पर सोनिया गांधी का पूरा भाषण:
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