अयोध्या विवाद: केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से विवादित राम जन्मभूमि के आसपास की अतिरिक्त जमीन को उनके मालिकों को वापस करने की इजाज़त मांगी  

Team Suno Neta Tuesday 29th of January 2019 12:27 PM
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राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवादित भूमि

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख करते हुए कोर्ट से अनुमति मांगी है, जो 67 एकड़ जमीन में से राम जन्म भूमि और बाबरी मस्जिद के लिए अतिरिक्त 2.67 एकड़ जमीन अधिकृत की गयी थी उसे उनके असली मालिकों को वापस की जाए। सरकार ने अयोध्या में विवादित जमीन छोड़कर बाकी जमीन को लौटाने और इस पर जारी यथास्थिति हटाने की मांग की है। सरकार ने अपनी अर्जी में 67 एकड़ जमीन में से कुछ हिस्सा सौंपने की अर्जी दी है। ये 67 एकड़ जमीन 2.67 एकड़ विवादित जमीन के चारो ओर स्थित है।

सुप्रीम कोर्ट ने विवादित जमीन सहित 67 एकड़ जमीन पर यथास्थिति बनाने को कहा था। केन्द्र सरकार ने अर्जी मे कोर्ट से 13 मार्च 2003 का यथास्थिति क़ायम रखने का आदेश रद करने की मांग की है और कहा है कि विवादित ज़मीन जिसका मुक़दमा लंबित है उसे छोड़कर बाकी अधिग्रहीत ज़मीन उसके मालिकों रामजन्मभूमि न्यास व अन्य को वापस करने की सरकार को इजाज़त दी जाए।

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में न्यायिक देरी और कथित तौर पर RSS के बढ़ते दबाव के मद्देनजर अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण को गति देने की मांग करते हुए कहा है कि कि राम जन्मभूमि न्यास की अयोध्या में विवादित स्थल के समीप की भूमि को और उनके मालिकों को देने के लिए सरकार कर्तव्य बाध्य है। अपने आवेदन में केंद्र ने 2003 और 2011 में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को संशोधित करने की मांग की है, जिसके द्वारा 1993 में सरकार द्वारा अधिग्रहित की गई 67.7 एकड़ भूमि पर पूर्ण यथास्थिति लागू की गई थी। सरकार ने अब कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया है कि मूल भूमि मालिक अपनी जमीन वापस पाने के लिए हकदार हैं।

दलील में जोर दिया गया कि केवल  बाबरी मस्जिद की 0.313 भूमि ही विवाद की हड्डी है और चूंकि “जरूरत से ज्यादा” और “अनावश्यक” क्षेत्र का स्वामित्व किसी भी विवाद से परे है, इसलिए उनकी भूमि अधिग्रहण से मुक्त होनी चाहिए। SC में सरकार की याचिका का स्वागत करते हुए विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने इसे सही दिशा में एक कदम बताया।

सोमवार को केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामलें पर सुनवाई की धीमी गति पर अपनी नाखुशी जताई थी, और एक शीघ्र निर्णय के लिए अपील की थी जैसा कि सबरीमाला मंदिर से संबंधित मामलों में किया गया था। प्रसाद ने कहा कि वह एक नागरिक के रूप में बोल रहें  हैं न कि कानून मंत्री के रूप में।

इस बीच केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने स्पष्ट किया कि अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण पर अध्यादेश का कोई सवाल ही नहीं उठता है और सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले की प्रतीक्षा करेगी।


 
 

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