भारत बंद का दूसरा दिन: केरल में हिंसा की घटना और कई राज्यों में रेल अवरोध से सार्वजनिक जीवन अस्त व्यस्त
नई दिल्ली: 10 प्रमुख केंद्रीय ट्रेड यूनियनों द्वारा दो दिवसीय हड़ताल के दूसरे दिन, रेल अवरोध और सड़क परिवहन सेवाओं को बंद करने के साथ हिंसा की कुछ घटनाओं की सूचना मिली है, जिसने कई राज्यों में सार्वजनिक जीवन को अस्त व्यस्त कर दिया है। ट्रेड यूनियनों से जुड़े लगभग 22 करोड़ श्रमिकों ने देशव्यापी बंद में भाग लिया।
भारत बंद का पहले दिन यानि मंगलवार को कई राज्यों में छिटपुट हिंसा से सार्वजनिक जीवन पर असर पड़ा।
दूरसंचार, स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली, बैंकिंग, कोयला, इस्पात, बीमा और परिवहन सहित देश के विभिन्न प्रमुख क्षेत्रों ने बंद का समर्थन किया है, जिसके परिणामस्वरूप कुछ राज्यों में रोजमर्रा के कामकाज प्रभावित हुए हैं। पश्चिम बंगाल के हावड़ा और अन्य हिस्सों में स्कूल बसों पर पथराव की घटनाएं सामने आई हैं। राज्य के कुछ हिस्सों में मंगलवार को इसी तरह की घटनाओं की सूचना मिली थी।
अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (AIBEA) और बैंक कर्मचारी महासंघ (BEFI) ने नकदी जमा, निकासी, चेक निकासी, विदेशी मुद्रा और प्रेषण सहित बैंक की नियमित गतिविधियों को प्रभावित करने वाली हड़ताल का समर्थन किया है। हालांकि, भारतीय स्टेट बैंक और अन्य निजी क्षेत्र के बैंकों में गतिविधियां अप्रभावित थीं। कुछ स्थानों पर कम उपस्थिति को छोड़कर सरकारी कार्यालयों और कॉर्पोरेट क्षेत्र में सामान्य गतिविधियां देखी गईं।
रेलमार्ग अवरोध ने मुख्य रूप से केरल और ओडिशा सहित राज्यों में दैनिक यात्रियों प्रभावित किया। ट्रेनें देरी से चलने के कारण बड़ी संख्या में यात्री प्रभावित हुए। पूर्वी रेलवे में रेल सेवाओं को बंद कर दिया गया था। केरल के कुछ हिस्सों में दुकानें और व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद रहे।
कई राज्यों में सड़क परिवहन भी प्रभावित हुआ, जिसके परिणामस्वरूप बस स्टैंड पर फंसे यात्रियों की लंबी कतारें लगी रहीं। मुंबई में नागरिक परिवहन के लगभग 32,000 कर्मचारियों ने अपने वेतन में बढ़ोतरी की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल का आह्वान किया। इसके साथ गोवा, केरल, ओडिशा, और कर्नाटक ने सार्वजनिक और निजी सड़क परिवहन सेवाओं को बंद करने की सूचना दी है।
भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार की कथित जनविरोधी नीतियों के विरोध में बंद का आह्वान किया गया है जो केवल कॉरपोरेट और बड़े व्यवसायों को लाभ पहुंचाते हैं। हिंद मजदूर सभा के महासचिव हरभजन सिंह सिद्धू के अनुसार, सरकार ने यूनियनों की “मांगों को नज़रअंदाज़” किया है और “नौकरियां पैदा करने में विफल” रही हैं। उन्होंने आगे दावा किया है कि विभिन्न संगठनों के किसान संगठनों, शिक्षकों और छात्र संगठनों ने भी हड़ताल का समर्थन किया है।
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