महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण घोषणा के बाद अब ब्राह्मणों ने भी की कोटा की मांग 

Team Suno Neta Monday 3rd of December 2018 12:46 PM
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नई दिल्ली: महाराष्ट्र में मराठा समुदाय के लिए 16% आरक्षण देने हेतु बिल पास हुए कुछ ही दिन हुए है कि राज्य के ब्राह्माण समुदाय ने भी सर्वे करवाके शिक्षा और सरकारी नौकरियों में छूट देने की मांग की है।

ब्राह्मणों की स्थिति को उजागर करते हुए अखिल भारतीय ब्राह्मण महासंघ के नेता आनंद दवे ने कहा, “ब्राह्मण महाराष्ट्र के हर घर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, चाहे वह अंतिम संस्कार, विवाह, गृहप्रवेश जैसे समारोह या अन्य शुभअवसर – हर जगह उनकी जरूरत पड़ती है। लेकिन इसके बदले शायद ही उन्हें कुछ मिलता है। महाराष्ट्र में 1.25 लाख से अधिक 'पुरोहित' यजमान की सेवा प्रदान कर रहे हैं, लेकिन इसके बदले उन्हें कुछ ख़ास नहीं मिलता है। हम राज्य सरकार से 5,000 रुपये प्रति माह के मानदंड की मांग कर रहे हैं। ऐसा माना जाता है ब्राह्मण सामान्यता धन से संपन्न होते है, लेकिन ऐसा नहीं है। आजकल अगर ब्राह्मण की आर्थिक दशा को देखा जाए तो उनमे से 60 से 70% ब्राह्मण गरीब मिलेंगे।”

दवे ने आगे कहा, “आरक्षण से (तथाकथित) उच्च समुदाय के मेधावी छात्रों को बुरी तरह प्रभावित किया गया है। एक मेधावी छात्र द्वारा किए गए अथक प्रयास के बावजूद उसे अपना एडमिशन सुरक्षित कराने के लिए 1 लाख रुपये का शुल्क देना पड़ता है जबकि आरक्षण लाभार्थी छात्र इतने मेधावी नहीं होते हैं फिर भी उन्हें आसानी से एडमिशन मिल जाता हैं और वे इसके लिए वे बहुत कम भुगतान करते हैं। भुगतान की गयी राशि में कुछ उन्हें वापिस भी की जाती है।”

“हर कोई अपने परिवार की देखभाल करने के लिए संघर्ष कर रहा है। महीने के अंत में जो भी वेतन मिलता है वह EMI, शिक्षा शुल्क, घरेलू खर्चों का भुगतान करने, बीमार माता-पिता की देखभाल करने में ही खर्च हो जाता है। दवे ने कहा कि स्थिति यहाँ तक ख़राब है कि पुणे जैसे शहर में तथाकथित समृद्ध ब्राह्मण भी अमीर नहीं है।”

दवे ने फडणवीस सरकार से विनती की है कि ब्राह्मणो की असली स्थिति को जानने के लिए सरकार एक कमेटी गठित करे जो जमीनी तौर पर हकीकत की पड़ताल कर सके जिससे सरकार आर्थिक रूप से पिछड़े समुदायों के लिए भी नियम और कानून बना सके।


 

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