राजस्थान चुनाव: राजपूत समुदाय वसुंधरा राजे और सत्ता के बीच की सबसे बड़ी बाधा
नई दिल्ली: राजस्थान के मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के लिए इस बार का चुनावी माहौल अनुकूल नजर नहीं आ रहा। राजे और सत्ता के बीच अभी सबसेबड़ी बाधा राजपूत समुदाय है और यह प्रभावशाली राजपूत समुदाय सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के लिए एक अनसुलझा बाधा बनता जा रहा है।
जनसंघ के दिनों से ही राजपूत समुदाय अपना समर्थन भाजपा को दे रहा था परन्तु राजे की अगुआई वाली सरकार 2016 से राजपूत समुदाय काभरोसा जितने में नाकाम रही है क्योंकि पूर्व केंद्रीय मंत्री और राजपूत नेता जसवंत सिंह के बेटे मानवेंद्र सिंह हाल ही में भाजपा को छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गए।
दिसंबर 7 को राजस्थान के 200 विधानसभा सीटों पर मतदान होगा। राजपूत समुदाय कूल राज्य की आबादी का लगभग 12% है और कम से कम दोदर्जन विधानसभा सीटों पर अपना प्रभाव डालती है।
भाजपा के एक मंत्री ने कहा कि “राजपूत समुदाय भाजपा के पारंपरिक समर्थक रहे हैं। राजपूत नेता और पूर्व उपराष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत कायोगदान, जो तीन कार्यकाल के मुख्यमंत्री थे, भाजपा की चुनावी सफलताओं के लिए महत्वपूर्ण थे।”
वर्तमान सरकार में राजपूत समुदाय से तीन कैबिनेट मंत्री और एक जूनियर मंत्री हैं। सरकार से समुदाय की दूरी की शुरूआत तब हुई जब जयपुर के पूर्वशाही परिवार की पद्मिनी देवी ने एक अतिक्रमण अभियान के दौरान राजमहल महल के मुख्य प्रवेश द्वार को बंद करने के खिलाफ सार्वजनिक विरोधकिया।राजपूत समुदाय के बहुत सारे लोग इस बात के खिलाफ थे कि सरकारी अधिकारियों ने महल के मुख्य प्रवेश द्वार को बंद कर दिया था जिससेराजसी परिवार का अपमान हुआ था और समुदाय ने इसके लिए राजे को माफ़ नहीं किया। पद्मिनी देवी भाजपा विधायक दीया कुमारी की मां हैं, जोपिछले विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी में शामिल हुई थीं।
रावण राजपूत समुदाय के गैंगस्टर आनंदपाल सिंह के एक मुठभेड़ में मारे जाने पर जनता के क्रोध ने जोड़ पकड़ लिया । इस तथ्य के बावजूद कि रावणराजपूत, राजपूतों का एक निम्न जाति के रूप में माना जाता है, लेकिन हत्या के विरोध प्रदर्शन करते हुए राजपूत समुदाय ने CBI जांच की मांग की।जब सरकार CBI जांच के लिए सहमत हो गई, तो उसने सिंह के खिलाफ एजेंसी को लगभग 115 मामले भेजे।इससे सरकार और समुदाय के बीचसंबंधो में और गिरावट आई।
2014 के लोकसभा चुनावों में बाड़मेर से जसवंत सिंह को भाजपा से टिकट ना मिलना, राजे और भाजपा का संबंध राजपूत समुदाय के साथ और भीखराब कर दिया। उस चुनाव में अपने पिता के लिए और भाजपा के आधिकारिक उम्मीदवार के खिलाफ प्रचार करने पर पार्टी ने मानवेंद्र सिंह को पार्टीसे निलंबित कर दिया था।
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