मनमोहन सिंह ने कहा ‘शहरी अव्यवस्था के चलते युवाओं में असंतोष पैदा हो रहा है’
रविवार को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अर्थव्यवस्था को उसकी क्षमता के हिसाब से आगे नहीं बढ़ाने को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि भारत की ग्रोथ बेरोजगारी दूर करने के बजाय रोजगार खत्म करने की वजह बन रही है।
एक दीक्षांत समारोह में मनमोहन ने कहा कि ग्रामीणों पर कर्ज ज्यादा होने और शहरी अव्यवस्था के चलते युवाओं में असंतोष पैदा हो रहा है। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र का बढ़ता संकट, रोजगार के कम होते अवसर, पर्यावरण प्रदूषण और विभाजनकारी ताकतों के सक्रिय रहने से देश के सामने मुश्किलें आ रही हैं।”
उन्होंने कहा कि किसानों की आत्महत्याएं और उनके लगातार विरोध प्रदर्शन भारतीय अर्थव्यवस्था के असंतुलित विकास को दर्शाते हैं। इनका राजनीतिक रूप से समाधान करने की जरूरत है। नोटबंदी और GST को गलत तरह से लागू करने से भारतीय अर्थव्यवस्था को करारा झटका लगा है। सरकार को इन कदमों से छोटे और असंगठित कारोबार की कमर टूट गई है। हम तेजी से बदलती दुनिया में रह रहे हैं। एक तरफ हम तेजी से दुनिया की अर्थव्यवस्था के साथ जुड़ रहे हैं और विश्व बाजारों में पहुंच रहे हैं और दूसरी तरफ घरेलू स्तर पर हमारे सामने व्यापक आर्थिक और सामाजिक चुनौतियां खड़ी हैं।
बिजनेस स्टैंडर्ड नेNSSO के आंकड़ोंको रोजगार पर जारी किया जो बताता है कि विमुद्रीकरण के बाद की अवधि (जुलाई 2017 से जून 2018) के दौरान देश में बेरोजगारी दर 45 वर्षों में सबसे अधिक थी। रिपोर्ट को सरकार द्वारा दबा दिया गया जिसने राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के तत्कालीन कार्यवाहक अध्यक्ष पी सी मोहनन और एक और विशेषज्ञ सदस्य जे वी मीनाक्षी को इस्तीफा देने के लिए प्रेरितकिया।
Manmohan Singh says India’s ‘jobless growth’ has slipped into ‘job-loss growth’
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